रूचि - जिंदगी का सफरनामा : Episode 1 - गजरा
NOVEL: रूचि - जिंदगी का सफरनामा PRESENTED BY: The Creablez AUTHOR: दर्शिनी शाह CHAPTER 1: अनकही EPISODE 1: गजरा फिर वही समन्वय, हर साल की तरह… गर्मियों का आरंभ और बे-मौसम बादलों का पकड़-दाव… । कभी-कभी ही सही, पर धूप के पहर पर यूं अचानक रेन का ये बेबाक पूर्णाधिकार और दरमियान जन्मती सांझ मुझे बहोत पसंद है। इसी वक्त तो इस तपती धूप के पास होता है - इसे बेरंग से सांझ के रंग-बिरंगी पंख देकर सुर्ख गुलाबी आसमान बनाने वाला, बिनशर्त, बिन-बटवारे का… कोई अपना - मतलब… की ये बदले मौसम की चढ़ती रात। जो पूरी तरह चढने से पहेले सुनहरे-लाल पारदर्शी बादल, उनके बीच से लालिमा पसारते सूर्यास्त और बादलों के परदो से आंख-मिचौली खेलते चंद्रोदय को इसके आलम में भर जाती है। जिसकी दस्तक, गुदगुदाती ठंडी हवाएँ घोड़े के रथ पर सवार,अहमदाबाद शहर को सुना रही, बदले मौसम के हाल। अहमदाबाद शहर - यहाँ की पक्की सड़कें, लंबी गाड़ियाँ, और मसरूफ लोगों के बीच पड़ता है मेरे पापा का घर। इस शहर की चकाचैंध और रोज़मर्रा की भागदौड़ में अपना कहने को उनके पास है, 2 B.H.K. फ्लैट,...
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