रूचि - जिंदगी का सफरनामा : Episode 1 - गजरे की डोर
NOVEL: रूचि - जिंदगी का सफरनामा PRESENTED BY: The Creablez AUTHOR: दर्शिनी शाह CHAPTER 1: अनकही EPISODE 1: गजरे की डोर साल भर बाद आज फिर से वही समन्वय आसमान पर कब्जा किए बैठा दिख रहा था... - गर्मियों की शुरुआत और बे-मौसम बादलों के पकड़-दाव का समन्वय। पर आज का दिन उन में से है जब मन बेवजह ही खुश महसूस करने लगता है क्योंकि आज के दिन में कुछ अलग है तो इसकी शाम… जिस पर छाया है गीली हवा की खुशबू चारों ओर घोल रहा घना कोहरा। लोग कहते है… अचानक से यूं बदले मौसम का उन्माद, कीसी की भी दबी हुई उत्कंठा जगा देता है। और आज की शाम इसका प्रमाण देने लगी जब एकाएक जानवी सदन के रसोई से गुनगुनाने की आवाज़ आने लगी… “ दिल तो है दिल, दिल का एतबार क्या कीजे… आ गया जो किसी पे प्यार क्या कीजे… … ” साथ ही “थठ-थठ-थठ-थठ” रोज़मर्रा की तरह ओखली में कुटी जा रही अदरक की आवाज़ । भला दीवार पर टंगी घड़ी पीछे कैसे रहती? “टंअअन्गग टंअअन्गग” - उसके बजते ही रसोई से काजल सनी दो आँखें ऊपर की तरफ उठी और अपलक घड़ी की तरफ मुड़ गई, और कुछ दो सेकंड बाद वापस ...
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